अंगूठा देखती पीढ़ियां- 28.06.21
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अक़्सर गहरी साज़िश के साथ
होती हैं भावनात्मक अपीलें
उनके क्रूर चालों में फँसकर
उन पर लुटाते रहे हैं
अपनी सारी काबिलियत और सारे अधिकार
गुरूभक्ति के नाम पर
अँधेरे में ढकेले जाते रहे हैं
अनगिनत एकलव्य और उनके भविष्य
एकलव्यों ज़रा समझो
जिन्हें गुरूदक्षिणा के नाम पर
कभी अपना अंगूठा दे दिए थे
वही तुम्हारी पीढ़ियों को
अपना अंगूठा दिखाते आ रहे हैं।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
975585249
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