Thursday 9 September 2021

प्रेम और युद्ध -- 10.09.21

प्रेम और युद्ध -- 10.09.21

------------------------------------------------------

प्रेम और युद्ध में अद्भुत समानता है


दोनों के होने के लिए मुहूर्त  की ज़रूरत नहीं होती


दोनों विजय की कामना से लड़े जाते हैं

मगर परिणाम की विशेष चिंता नहीं होती


दोनों में केवल खोना पड़ता है

बचता कुछ भी नहीं


दोनों ही याद किए जाते हैं

प्रेम सुगंध की तरह

युद्ध बुरे सपने की तरह


सबसे बड़ी बात

प्रेम और युद्ध 

कभी ख़त्म नहीं होते


प्रेम और युद्ध में गहरी असमानता भी है


अहम की संतुष्टि के लिए युद्ध होता है

जबकि अहम के मिट जाने से प्रेम होता है


प्रेम के लिए युद्ध करना महानता है

मगर युद्ध से प्रेम करना महा विनाशक है


प्रेम सदा सराहे जाते हैं

युद्ध की सदा भर्त्सना की जाती है


प्रेम में युद्ध और युद्ध में प्रेम नहीं होता


प्रेम,युद्ध है

मगर युद्ध केवल युद्ध है।


--- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

     9755852479

Sunday 5 September 2021

समय को लिखना - 06.09.21

समय को लिखना - 06.09.21
-------------------------------------
अपने लिए 
किसी समय का 
इंतजार किए बिना
बस अपने समय को 
लिखते जाना

तुम्हारे लिखे में ही
बोलेगा तुम्हारा समय

समय को इतना लिखना
कि एक दिन
खुद, तुम्हें लिखेगा समय ।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र 
   9755852479

Friday 3 September 2021

ऐतिहासिक इमारतों को देखने के बाद -04.09.21

ऐतिहासिक इमारतों को देखने के बाद -04.09.21
-------------------------------------------------------
जब जब ऐतिहासिक इमारतों को देखता हूं
अनगिनत सवाल और अनगिनत खयाल
उमड़ने लगते हैं मेरे भीतर

जैसे जैसे उसकी पुरानी सीढ़ियों से नीचे उतरते जाता हूं
वही सीढियां धीरे धीरे मुझमें उतरने लगती हैं

ईमारत की मजबूत गहरी नींव
उतनी ही सख्ती से जमने लगती है
मेरे हृदय तल की गहराई तक 

ईमारत पर उत्कीर्ण कलाकृतियां
उत्कीर्ण होने लगती हैं हुबहू
मेरे मानस पटल पर

उसके प्राचीरों स्तंभों गुंबदों और कलशों की भव्यता देख
अव्यक्त लालित्य भाव से भर जाता है मेरा मन 

पर कुछ टूटने सा लगता है मेरे भीतर 
जब देखता हूं 
ईमारत के भग्नावशेषों को
फिर भी जितना प्रविष्ट होता हूं उसके भीतर
वह उतना ही प्रविष्ट होते जाता है मेरे भीतर

उससे बाहर आने को जी नहीं चाहता
पर बाहर आने के बाद भी
वह रह जाता है मेरे भीतर..।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र 
     9755852479