Friday 17 April 2020

लिखना चाहते हैं आप

लिखना चाहते हैं आप - 16.04.2020
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क्या आप कविता लिखना चाहते हैं ?
यदि हाँ तो दो विकल्प है आपके पास

पहला विकल्प यह कि--
उनके लिए कविताएं लिखना 
एक बड़ी चुनौती लेना है
इसमें कठिन संघर्ष और खतरों के अंदेशे भी हैं बहुत सारे

दूसरा विकल्प यह कि--
उनके लिए कविता लिखना
अवसरों के दरवाज़े खोलना है
इसमें पुरस्कार और सम्मान की संभावनाएं भी हैं बहुत सारे

अपनी कविता में  क्या लिखना चाहते हैं आप
यह आपको ही तय करना है
दोनों ही विकल्प खुले हैं आपके  लिए
या तो कविता लिखकर चुनौती ले लो
या फिर कविता लिखकर खोल लो बंद अवसरों के दरवाजे।

बताइये क्या लिखना चाहते हैं आप..?

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
   9755852479

भीड़ में जुटे लोग

भीड़ में जुटे लोग -16.04.2020
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ये उन लोगों की बातें हैं
जो लॉकडाउन,कर्फ़्यू, धारा-144
जैसे बंदिशों से बिलकुल बेपरवाह हैं

जो हजारों की तादात में
कभी आनन्द विहार बस स्टेंड दिल्लीमें 
यकायक जुट जाते हैं
तो कभी बांद्रा रेल्वे स्टेशन मुम्बई में 
अचानक इकट्ठे हो जाते हैं

ये कोई एकजुट संगठित ताकत नहीं है
किसी सोची-समझी साज़िश का हिस्सा भी नहीं है
इनके कोई एजेंडे या
कोई ख़ास मक़सद और मांग भी नहीं है

ये इतने मासूम लोग हैं
जिनके जीवन संचालन में
'रणनीति' और 'योजना' जैसे शब्द भी नहीं है

ये वो लोग हैं
जिनके जीवन में
'संकल्प' और 'संयम'
बेईमानी भरे शब्द लगते हैं

ये वो लोग हैं
जिनका जीवन
केवल भूख से 
पीछा छुड़ाने में खप जाता है
पर 'भूख' कभी नहीं जाता है

ये वो लोग है 
जो सदियों से 
'भूख' की बीमारी से
लड़ते आ रहे हैं

ये वो लोग हैं 
जिनके लिए 
'कोरोना' से ज़्यादा ज़रूरी है
भूख की लड़ाई।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479