बेखबर स्त्रियां-25.03.22
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स्त्रियों के सौंदर्य का
अलंकृत भाषा में
नख से शिख तक मांसल चित्रण किए गए
श्रृंगार रस में डूबे
सौंदर्य प्रेमी पुरुषों ने जोर-जोर से तालियां बजाई
मगर तालियों की अनुगूंज में
स्त्रियों की चित्कार
कभी नहीं सुनी गईं
कविताओं में स्त्रियां
खूब पढ़ी गई और खूब सुनी गई
मगर आदि काल से अब तक
कविताओं से बाहर
यथार्थ के धरातल पर
स्त्रियां ना तो पढ़ी गईं और ना ही कभी सुनी गईं
स्त्रियों पर कई-कई गोष्ठियां हुईं
स्त्री विमर्श पर चिंतन परक लेख लिखे गए
स्त्री उत्पीड़न की घटनाओं पर शाब्दिक दुख प्रगट किए गए
टीवी चैनलों पर बहसें हुईं
अखबारों पर मोटे मोटे अक्षरों से सुर्खियां लगाई गईं
स्त्रियां खबरों पर छाई रहीं
पर घटनाओं से पहले
और घटनाओं के बाद बेखबर रही स्त्रियां।
--नरेंद्र कुमार कुलमित्र
9755852479