हिंदी के वारिस 21.01.22
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जब कोई धड़ल्ले से अंग्रेजी में अपनी बातें कह रहा होता है
मंच के सामने बैठे कुछ लोग कुढ़ रहे होते हैं
कुढ़ने वाले होते हैं तथाकथित हिंदी प्रेमी
उन्हें अंग्रेजी नहीं आती
वे अंग्रेजी सीखना भी नहीं चाहते
वे अपना समय अंग्रेजी सीखने में नहीं
अंग्रेजी से नफरत करने में लगाते हैं
मजे की बात तो यह है
उनसे ठीक से हिंदी भी नहीं बोला जाता
मगर वे हिंदी बोले जाने की लड़ाई लड़ते हैं
वे अपनी नाकामी देशभक्ति से जोड़ लेते हैं
जोर-जोर से चिल्लाते हैं
हिंदी हमारी माता है
हिंदी हमारी भाषा है
हिंदी हमारी पहचान है
हिंदी हमारी आन है अभिमान है
उन्हें ठीक से हिंदी लिखने भी नहीं आता
हिंदी वर्णों का क्रम भी उन्हें नहीं पता
मगर हिंदी के वारिस होने का ढिंढोरा पीटते रहे हैं हमेशा।
--नरेंद्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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