कुत्ते से प्यार - 08.03.21
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मैं जहाँ रहता हूँ उस मोहल्ले में घर के आसपास
अक़्सर दिख जाता है कुत्ते का एक सुखी परिवार
एक कुतिया एक कुत्ता और प्यारा-सा बच्चा एक
वह कुत्ता जिसके पैर मुड़े हुए हैं
जो बिलकुल नाटा और जिसका शरीर गठीला है
गेट के बाहर कभी बांए कभी दांए बैठा रहता है चुपचाप
उसने कभी मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ा
फिर भी उससे चिढ़ता था न जाने क्यों.!
गेट के खुले होने पर अब तक कई कई बार
बैठक में भूखा सांड घुसकर खा चुका था
रखे हुए अख़बार,नोट्स और पुस्तकों के कई पन्ने
मैं मेरी पत्नी और मेरे बच्चे बड़े परेशान थे सांड के हरकतों से
एक दिन जब मैं कॉलेज से घर आया
देखा कि वही काला नाटा कुत्ता
एक मोटे तगड़े बड़े से सांड को
भूँके जा रहा है भूँके जा रहा है
अपना सिर हिला-हिलाकर बेबस खड़ा वह सांड
रह-रहकर अंदर घुसने की कोशिश करता
पर कुत्ता उसका रास्ता रोके गेट के बीचोंबीच खड़ा रहा अडिग
बीच-बीच में मुझे देख अपना पूछ हिला-हिला करता है कूँ कूँ की आवाज़
कुत्ते के लिए सांड को रोके रहना अंदर घुसने न देना
बड़ी अहम बात रही होगी
पर मेरे लिए अहम बात थी कुत्ते की वफ़ादारी
कुत्ते के लिए मेरी सारी चिढ़ प्यार में बदल गया
मैंने इस पूरी घटना से एक बात बड़ी शिद्दत से समझ पाया
कि जानवर हो या फिर हो कोई आदमी
उसका काम ही लोगों में प्यार जगाता है।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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