Thursday 19 August 2021

वसुधैव कुटुम्बकम 08.04.21

वसुधैव कुटुम्बकम की दुहाई देने वाले ज्यादातर लोग
बड़े ही जिद्दी और परायेपन से भरे होते हैं

वे अक़्सर अपनी जाति, अपना धर्म, अपने लोग और अपने समाज की बात करते हैं
सीमित अपनों से ही घिरी होती है उनकी प्रेम की परिधि

अपनी जाति,अपने समाज और अपने धर्म की सीमा से परे लांघकर कोई करना चाहता है प्रेम
नफ़रतों से भर जाते हैं पूरी धरती को परिवार मानने वाले वही लोग 

जब-जब धरती पर सीमाओं से परे प्रेम सहन नहीं किए जाते
तब-तब धरती को काँटे की नोंक की तरह चुभती है वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
   9755852479

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