Thursday 19 August 2021

जरूरतें - 27.03.21

जरूरतें - 27.03.21
-----------------------------------------
हमें हमारी जरूरतों को पूरी करने के लिए ये भी चाहिए वो भी चाहिए
समय के साथ बहुत सी जरूरतें पूरी होती जाती है
जैसे जैसे जरूरतें पूरी होती है जरूरतें और बढ़ती जाती है

जरूरतें दूर दूर तक दिखाई देती हैं क्षितिज की तरह
जिन्हें हम देख सकते है पर वहाँ पहुँच नहीं पाते
कभी मानते नहीं पाने की चाहत में बढ़ते जाते हैं आगे
हमसे और आगे बढ़ती जाती है हमारी जरूरतें

विवाद है कि हमारी उम्र घटती है या बढ़ती है
पर जरूरतें बढ़ती ही जाती है उम्र के थम जाने तक

तमाम जरूरतों से भरी इस दुनियां में,जरूरतों की फ़िक्र में
उम्रभर अनगिनत चाहतों से भरे हुए दुनियां से ही गुज़र जाते हैं हम।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

No comments:

Post a Comment