Narendra Kumar Kulmitra
Thursday 19 August 2021
नदी होती है कविता - 15.04.21
नदी होती है कविता - 15.04.21
-------------------------------------------
बहती हुई नदी होती है कविता
प्रवाह को रोकने की कोशिशों पर
ज़लज़ला बन कहर बरपाती है कविता
कभी रुकती नहीं कभी थमती नहीं
बस बहती जाती है कविता
नदी होती है कविता
-- नरेन्द्र
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment