Thursday 6 October 2022

देख तेरे इंसान की हालत... 07.09.21. व्यंग्य

देख तेरे इंसान की हालत...  07.09.21.         व्यंग्य
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एक शाम टी वी ऑन किया तो अचानक मन किया कि कुछ समाचार सुन लिया जाए। समाचार चैनल लगाया तो वहां भक्तिमय रामधुनी हो रही थी।सभी भक्त ढोल मंजीरे के साथ बड़े भक्ति भाव से रामधुन गाते हुए पीले और भगवा वस्त्र में सुशोभित हो रहे थे।एक पल के लिए मुझे अपने आप पर डाउट हुआ कि गलती से समाचार चैनल की जगह भक्ति चैनल तो नहीं लगा लिया हूं। आंखें मिचकर दोबारा ठीक से देखा तो पता चला कि समाचार चैनल ही लगा हुआ है।फिर सोचा कि जरूर यह किसी धार्मिक स्थल अयोध्या वगैरह का दृश्य होगा।पर मैं गलत था। दृश्य कहीं और का था जिसे मैं देखकर चौंक गया।
                          समाचार आपको चौंका न दे  तो फिर वह किस बात का समाचार है। समाचार चैनलों की असली सफलता तो अपने समाचारों से दर्शकों को चौंका देने में होती है।चौंकाने वाले समाचारों से ही  समाचार चैनलों की टी आर पी बढ़ती है। समाचार चैनल अपने उद्देश्य में सफल था क्योंकि समाचार सुनकर मैं ख़ुद चौंक गया था। यकीन मानिए  उस समाचार के बारे में आपको बताऊंगा तो आप भी बिना चौंके नहीं रह सकेंगे। दरअसल रामधुन का वह भक्तिमय धार्मिक दृश्य न तो अयोध्या का था न ही किसी  मंदिर परिसर  का था। आप चौक गए ना मैंने पहले ही कहा था। जनाब जरा धैर्य बांधकर सुनते जाइए आगे तो आप बस चौंकते ही जाएंगे।
                    मनोविज्ञान का नियम कहता है कि हम किसी दृश्य घटना पर तब चौंकते हैं जब वह सामान्य से असामान्य या साधारण से असाधारण होती है। आप भली-भांति जानते हैं कि यह इतना बड़ा देश है और यहां तरह-तरह के बहुरंगी लोग रहते हैं। तरह-तरह के लोगों के विचार भी तरह-तरह के होते हैं। जिस दृश्य या घटना से आप बुरी तरह चौक जाते हैं, हो सकता है कुछ लोग उस तरह के दृश्य या घटनाओं से बिल्कुल भी ना चौके। जो घटना आपको असाधारण और असामान्य लगती है वहीं घटना किसी को साधारण और सामान्य भी लग सकती है। किसी दृश्य घटना को देखकर आप बुरी तरह विचलित हो जाते होंगे मगर उसी दृश्य या घटना से कुछ लोगों को कुछ भी फर्क ही नहीं पड़ता होगा। खैर चौकाने वाले लोग चौकाते रहेंगे आप तो बस चौंकते रहिए। आप चौंकाने वाली घटना को भला कहें बुरा कहें उस घटना की प्रशंसा करें आलोचना करें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता किसी को। चौंकाने वाली घटना को अंजाम देने वाले वालों को इससे तो बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता। अरे मैं तो चौंकने और चौकाने की बातों में समाचार बताना ही भूल गया।
                           समाचार की वह घटना और वह दृश्य किसी प्रदेश के विधानसभा भवन का था। आपको क्या लगता है कि विधानसभा में धार्मिक गतिविधियां नहीं हो सकती। यदि आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। जब विधानसभा में नमाज की जा सकती है तो फिर राम भक्तों द्वारा राम धुन करने में हर्ज ही क्या है ? जब विधानसभा में मंदिर और मस्जिद की व्यवस्था हो सकती है तो फिर अरदास करने के लिए गुरुद्वारे और प्रार्थना के लिए चर्च की व्यवस्था क्यों नहीं हो सकती है? फिर तो जैन,बौद्ध,पारसी और भी जितने धर्म वाले होंगे सभी के लिए विधानसभा में व्यवस्था करनी पड़ेगी। हमारे देश को धर्मप्राण देश ऐसे ही नहीं कहा जाता है। यह अलग बात है कि धर्म का मतलब समझने वाले आपको मिले या ना मिले मगर धर्म के नाम पर प्राण देने वाले और प्राण लेने वाले अनेक मिल जाएंगे।
                    भाई साहब यह धर्म प्रधान देश है। यहां की जनता बड़ी धार्मिक होती हैं। मैं तो कहता हूं कि धर्म से बढ़कर और धर्म से बाहर कोई चीज हो भी नहीं सकती। आप दुनिया में किसी के भी खिलाफ जा सकते हैं मगर धर्म के खिलाफ नहीं जा सकते। कमाल की बात तो यह है कि देश में धर्म की प्रधानता है मगर देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष है। धर्म को लेकर हमारा संविधान बिल्कुल न्यूट्रल है। वह न तो किसी धर्म का समर्थन करता है ना ही विरोध करता है। संविधान की हालत तो उस बेचारे की तरह है जिसे कोई भी कुछ कहे कोई भी कितना भी सताए वह चुपचाप सहन करते रहता है देखते रहता है बिल्कुल मौन।
                            मैं इस बात को लेकर आज तक कंफ्यूज होते रहा हूं कि हमारे देश के लिए विविधता में एकता जरूरी है या मजबूरी ? हम कौमी एकता के लिए गाते हैं कि "मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना"  इस गाने से मुझे यह समझ नहीं आया कि आखिर बैर सिखाता कौन है ? आपस में बैर सिखाने वाले हमारी नजरों से आखिर कैसे बच जाता है ? मुझे पता है हम आगे भी विनय चंद्र मौद्गल्य के गीत "हिंद देश के निवासी सभी जन एक है, रंग रुप वेश भाषा चाहे अनेक है।"गाते रहेंगे। साहिर लुधियानवी जी के गीत "तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा इंसान की औलाद है इंसान बनेगा।"गुनगुनाते रहेंगे। बहरहाल मैं इतना ही कहूंगा कि इंसान की औलादों को इंसान बने रहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए। अन्यथा मुझे प्रदीप कुमार जी के गीत गाने पड़ेंगे "देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान-कितना बदल गया इंसान।"

--नरेंद्र कुमार कुलमित्र
   9755852479

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