अंधेरे का व्यापार 16.05.21
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रोशनी की शक्ल में बेचा जा रहा है अंधेरा
रोशनी में लिपटे अंधेरे का व्यापार खूब फल फूल रहा है इन दिनों
अंधेरे के प्रचार में चारों ओर फैले हुए हैं उल्लू के पट्ठे
इस व्यापार में केवल उल्लुओं को फायदा है
जितना सघन अंधेरा हो उतना अच्छा है
उन्हें रोशनी से डर लगता है
उल्लू बनाने वालों और उल्लू बनने वालों के तंत्र का नाम लोकतंत्र हो गया है
अंधेरा सलामत है
रोशनी कहीं नहीं है।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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