Thursday 6 October 2022

ओ मेरी प्यारी किताब ! - 05.08.22

ओ मेरी प्यारी किताब ! -  05.08.22
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मुझे किताबों से प्यार है

मैं हर नई किताब को पढ़ने के लिए बेताब होता हूं
जब कोई नई किताब मेरे हाथ में होती है
जब तक ना पढ़ लूं बेचैन रहता हूं
पुस्तक लेकर अलमारी में सजा देना मेरा काम नहीं 

मुझे तसल्ली या संतुष्टि किताब पढ़ने से ही मिलती है देखने से नहीं

किताबों की पंक्तियों को पढ़ना, शब्दों में ठहरना,अर्थों को महसूसना और भावों में डूबते जाना यही तो आनंद है किताब की

किताबों की अच्छी बातों को हृदय में संजोए रखता हूं
हरदम नई और अच्छी किताब की तलाश में रहता हूं

किताबें जितना पढ़ो ज्ञान के विस्तार का कोई छोर नहीं 
हमें पढ़ते रहना है नई नई किताबें

तुम बिल्कुल नई किताब हो
बड़ी चिकनाहट है तुम्हारे पन्नों में
तुम्हारे हरेक पन्नों के प्रत्येक शब्दों का अर्थ जानना चाहता हूं
तुम्हारे अक्षर गोल गोल और बड़े सुडौल हैं
तुम्हारे काले काले अक्षरों में खो जाना चाहता हूं
बड़े ही आकर्षक हैं आगे और पीछे के तुम्हारे कवर पृष्ठ

मैं अपनी कलम से तुम्हारी महत्वपूर्ण पंक्तियों के नीचे रेखांकित करते हुए
तुम्हारे पृष्ठों को पलटना चाहता हूं
समझ ना आए तो उलट-पुलट कर बार बार पढ़ना चाहता हूं
समय रहते तुम्हें पूरा पढ़ लेना चाहता हूं

ओ मेरी प्यारी किताब !
तुम्हारे बाह्य आवरण इतने अच्छे हैं
तुम भीतर से कितनी अर्थवान होगी कितनी अच्छी होगी
मैं सचमुच तुम्हें पढ़ने के लिए बेताब हूं।

ओ मेरी प्यारी किताब !
पूरे मन से पढूंगा तुम्हें
धन्य हो जाऊंगा तुम्हें पढ़कर
मेरे पढ़ने से शायद तुम भी धन्य हो जाओ
आखिर सच्चे पाठक के पढ़ने में ही तुम्हारी सार्थकता है

ओ मेरी प्यारी किताब !

--नरेंद्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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