47.. रिश्तों की अहमियत दरख़्तों के छांव-से लगते हैं।
जब टूट जाए वही रिश्ते तो,रिसते घाव-से लगते हैं।।
46.. ये तो सुना था कि दीवारों के भी कान होते हैं।
पर पता चला कि दरवाज़ों के भी जबान होते हैं।।
45..जो कभी ख़ुद से ही
रूठ जाता है।
वह अपनी जिंदगी से
टूट जाता है।।
44.. न जाने ये कैसे अक़्लमंद हैं ?
इनके होश के सारे दरवाज़े बंद है।।
43.. मेरे ये जखम खाई से भी ज़ियादा गहरे हैं।
सुन लेते हैं अपने काम की बातें जो बहरे हैं।।
42.. हमसे न कोई खुशियां बांटी न कोई दुख बांटा।
अपनी ज़िंदगी हमने बस यूं ही अकेले काटा ।।
41.. तुम कहते हो--
भोले ॐ नमः शिवाय
कोई नहीं तेरे सिवाय
मैं कहता हूँ--
खुद को समझ
तू है भोले तू है शिवाय
दूसरा नहीं कोई
एक तेरे सिवा
41..दहशत हो या फिर हो चाहत।
है तो दोनों ही बड़ी आफ़त।।
40..उसने ही पाया जिसने स्वीकार किया ।
ये जिंदगी है कभी बहानों में नहीं होती।।
39..बेरंग जिंदगी तुझे एक दिन रंगों से सजा लूँगा
ये मेरा वादा है छीनकर तेरी मायूसी हँसा लूँगा।।
38..पुस्तकीय कीड़ों का कभी ज्ञान नहीं होता।
आधारहीन कुतर्कों से कभी सम्मान नहीं होता।।
37..खुजलाता है तो खुजलाओ यही खाजनीति है।
बहलती है तो बहलाओ यही राजनीति है ।।
36..समझ लो जब निगाहों में हया होती है।
बिना कहे ही सब कुछ बयां होती है।।
35..बेजान तस्वीरें भी कुछ बोलती हैं।
राज़ अनकही दिल के खोलती हैं।।
34..किसी की तरह लिखना महज़ नकल है।
लिखे हुए की तरह दिखना अकल है।।
33.. लगता है घहराता हुआ सा कुछ अंदर है।
पता चला सीने में भावनाओं का समुंदर है।।
32.. मोहब्बत के तरीक़े भी बड़े अज़ब होते हैं।
आँखों से ही सारे सवाल और जवाब होते हैं।।
31.. कहते हो तुम मैं अधूरा हूँ तेरे बिना ।
पर तुम भी कहां पूरा हो मेरे बिना ।।
30.. कहते है इश्क़ में बहुत नशा होता है।
पर पीने से पहले कहां पता होता है।।
29.. हालांकि साथ उसके सौ-सौ नख़रे हैं ।
पर उससे जुदा होना इतना क्यूँ अखरे हैं।
28.. बचपन में इक ख़्वाब संजोया था
ख़्वाब सारे हुए पूरे
जीवन के इस शाम में तन्हा बैठे-बैठे
पूरे हुए ख़्वाब सारे फिर याद आने लगे।
27.. लुटती रही अस्मत होता रहा दुराचार।
देखते रहे मौन हम सब होकर लाचार।।
26.. लिखते रहता हूँ हमेशा तुम्हारी याद में।
लिखे हुए को बार-बार पढ़ते रहता हूँ तुम्हारी याद में।।
25.. गर मोहब्बत नहीं दिल में तो रब नहीं
इंसानियत से बढ़कर कोई मज़हब नहीं।।
24.. इंसानियत से भरा जो इंसान है।
मेरी नज़रों में बस वही भगवान है।।
23.. जिंदगी में ऐतबार करना प्यार ने सीखा दिया।
बेचैनी सह लेना तेरे इंतिजार ने सीखा दिया।।
22..इस तरह न बैठो तुम मन मारकर।
हो गए क्यूँ उदास इक बार हारकर।।
14.. चाहता हूँ कि मुझमें तुम हो जाओ।
कोई ढूंढ न सके ऐसे गुम हो जाओ।।
15.. इस जहां में जमीं है,आसमाँ है।
जब तलक पुकारने के लिए माँ है।।
16.. तुम्हारे बारे में सुनकर हम हैरान हो गए।
लोगों की नजरों में तुम कैसे भगवान हो गए।।
17..तुम्हारी याद में हम सोते नहीं।
सहते हैं दर्द हँसकर, रोते नहीं।।
18.. मंजिलें सब पार हो जाते हैं।
यदि आप हौसले पर सवार हो जाते हैं।।
19.. जब भी मिलें गुमसुम लगते हो।
होकर दूर, करीब तुम लगते हो।।
20.. दुसरों के लिए जो कांटे वाले बीज बोते हैं।
उन्हें ही चुभते हैं और वही रोते हैं।।
21.. जिन्दगी में अरमान जिंदा रख।
हौसले भरे उड़ान जिंदा रख।
मंजिले तो मिल ही जाएगी
हाथों में तरकस और कमान जिंदा रख।।
1..
तुम नहीं हमारे वास्ते हम भी नहीं तुम्हारे वास्ते।
जिंदगी है अपनी-अपनी,रास्ते भी अपने-अपने।।
2..
रोशन किया जो मेरा अंधेरों भरा सारा जहां।
ताउम्र वो किताबें ही थीं इर्द-गिर्द , यहां-वहां।।
3..
मौत भी अच्छी है, तुझसे ऐ क्रूर ज़िन्दगी।
तू ताउम्र तड़पाती रही,वो आई और चली गयी।।
4..
करते काले कारनामे, पर लगते शरीफ़ है।
इन शरीफों के बीच,शराफ़त कैसे करोगे।।
5..
तू क़ातिल भी नहीं , तू कसूरवार भी नहीं
क़सूर है तो बस तेरी क़ातिलाना नज़रों का।।
6..
अधूरा अपूर्ण मेरा जहां,ऐ देश तेरे बिना
मेरा वजूद भी कहां, ऐ देश तेरे बिना
7..
किसने बुलाया इशारा करके जो सब चले गए
कल तक तो जिए साथ-साथ अब तन्हा रह गए
8..
जाना ही था तो साथ रहने का वादा क्यों किया?
मैं तो पहले ही बेसहारा था यूं सहारा क्यों दिया?
9..
मुश्किलें आती रही और रास्ता आसान होता रहा।
रास्ता आसान क्या हुआ जिंदगी मुश्किलों से भर गईं।।
10..
नमन अमर शहीद वीर जवानों को।
नमन अमर उनके बलिदानों को।।
11..
मुल्क की हिफ़ाजत और जान की बाजी बस यही उनकी मन्नत है।
जिए और मरे सिर्फ़ इस वतन के लिए बस यही उनके लिए ज़न्नत है।।
12..
न जाने क्यूँ वो हमसे इस कदर रूठे हैं।
हम जिसके इंतिजार में मुद्दतों से बैठें हैं।1।
13..
सिर्फ़ बयानों में ही उलझाए रहना उनका काम है।
जो चुन लिए एक बार फिर पाँच साल आराम है।।
फर्क नहीं समझो जरा,सबके अल्ला सबके राम है।
नेता में अब नेतृत्व कहाँ, नेता तो बस एक नाम हैं।।
14..
सत्र का पहला व्याख्यान- "सोशल एंड इमोशनल इंटेलिजेंस" पर प्रो. उषा किरण अग्रवाल, मनोविज्ञान विभाग, डी. बी. गर्ल्स पी. जी. कॉलेज, रायपुर द्वारा दिया गया। प्रो. उषा किरण ने सत्र की शुरुआत वार्म अप और हँसी के योग से की। उन्होंने यह बताया की उसने इन गतिविधियों से एंडोर्फिन नामक हार्मोन का स्राव होता है जो तनाव को कम करने में सहायक है। उन्होंने सोशल इंटेलिजेंस के बारे में एक संक्षिप्त परिचय दिया और निम्नलिखित घटकों के बारे में विस्तार से बताया जो कि मजबूत सोशल इंटेलिजेंस - मजबूत संबंध प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं जैसे- मजबूत सम्बन्ध, सामाजिक जागरूकता, प्राइमल ऐम्पथी, समस्वरता, ऐम्पेथिक शुद्धता, सामूहिक अनुभूति, सोसल ट्रिगर, सुरक्षित आधार, विखरे सामाजिक जुडाव, सकारात्मक संक्रामकता, अनुकूल करना आदि।
उन्होंने "इमोशनल इंटेलिजेंस" के बारे में बताते हुए कहा कि विभिन्न भावनाओं के बीच विचार करना और उन्हें उचित रूप से लेबल करना हर मनुष्य को अपने जीवन में अंगीकृत करने का प्रयास करना चाहिए। यह अपनी भावनाओं व् अंतर्वैयक्तिक संबंधों को नियंत्रण के बारे में जागरूक करने की क्षमता है। इमोशनल इंटेलिजेंस की क्षमता को चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है जैसे - भावनाओं को समझना, भावनाओं का प्रबंधन, सुगम विचार, भावनाएँ को समझना | यह अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए, नेतृत्व कौशल विकसित करने के लिए और आकस्मिक रिश्तों को समझने के लिए आवश्यक है। इमोशनल इंटेलिजेंस आत्म जागरूकता, प्रेरणा, सहानुभूति, सामाजिक कौशल और आत्म नियमन द्वारा प्राप्त किया जा सकता। अंत में उन्होंने सोशल और इमोशनल इंटेलिजेंस पर एक लघु फिल्म दिखाई है
सत्र का दूसरा व्याख्यान- "समय प्रबंधन" पर सत्र का दूसरा व्याख्यान प्रो. उषा किरण अग्रवाल द्वारा दिया गया था। उन्होंने कहा की स्ट्रीमलाइन, प्राथमिकता और योगदान समय प्रबंधन या व्यवस्थित करने के लिए आवश्यक अवयव हैं | उन्होंने कहा कि प्रभावी समय प्रबंधन लक्ष्यों को प्राप्त करने में, उत्पादकता बढ़ाने में, जीवन कौशल को बढ़ाने में, तनाव को कम करने में मददगार होगा। साथ ही उन्होंने यह बताया कि ऐसे कार्य जो दो मिनट के भीतर किया जा सकता है, उसे प्राथमिकता के साथ पूरा किया जाना चाहिए
द्वतीय सत्र-II
सत्र का पहला व्याख्यान- --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
सत्र का दूसरा व्याख्यान- --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
दैनिक प्रतिवेदन (रिपोर्ट)
दिनांक- 20.11.19
26 वें उन्मुखीकरण कार्यक्रम
समूह तीन द्वारा प्रस्तूत
समूह के सदस्य-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र, दीपन दास,धरना ठाकुर,विनीता जडाला,आराधना गोस्वामी
प्रथम सत्र
प्रथम व्याख्यान --
सत्र का पहला व्याख्यान- "सोशल एंड इमोशनल इंटेलिजेंस" विषय पर प्रो. उषा किरण अग्रवाल, मनोविज्ञान विभाग, डी. बी. गर्ल्स पी. जी. कॉलेज, रायपुर द्वारा दिया गया।मैडम द्वारा विषय का प्रारंभ सभी प्रशिक्षार्थियों को लाफ्टर के माध्यम से हँसाकर किया गया ततपश्चात शरीर के विभिन्न अंगों से हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया।उक्त क्रियाकलाप के पश्चात 'इमोशनल इंटेलिजेंस' एवं' 'सोशल इंटेलिजेंस' को परिभाषित करते हुए विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से मनोविज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।अपने व्याख्यान में आत्महत्या के कारण,सामाजिक झगड़ों के कारण, अकेलापन, कमज़ोर होते सामाजिक संबंधों,विकास और वृद्धि में अंतर, सहानुभूति और परानुभूति, दिल और दिमांग का संतुलन, सामाजिक जिम्मेदारी, आवेग नियंत्रण आदि के मनोवैज्ञानिक पक्षों की विस्तृत जानकारी दी गई।इमोशनल इंटेलिजेंस' एवं' 'सोशल इंटेलिजेंस' को और अधिक स्पष्ट करने के लिए व्याख्यान के दौरान प्रशिक्षार्थियों के मध्य छोटे-छोटे सामूहिक खेल भी करवाए गए।व्याख्यान के अंत में संबंधित लघु फ़िल्म का प्रदर्शन किया गया।
प्रथम सत्र के दूसरे व्याख्यान में ' लाइफ़ स्कील : क्या,क्यों और कैसे ' विषय पर जानकारी दी गई।सर्वप्रथम लाइफ़ स्कील को हमारे जीवन में आवश्यक बताते हुए घर, परिवार, समाज और कार्यस्थल में किस-किस तरह के लाइफ स्कील चाहिए इसकी जानकारी दे गई।लाइफ़ स्कील से जुड़े तमाम पहलुओं जैसे चैलेंज स्वीकार करना, परानुभूतिक होना, स्ट्रेस को नियंत्रित करना,समस्या को समझना, सामाजिक संतुलन स्थापित करना,प्राथमिकता का ध्यान रखना आदि पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।
द्वितीय सत्र
द्वितीय सत्र का व्याख्यान डॉ हरीश कुमार, प्राध्यापक, बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग,गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा 'प्रभावी शिक्षक' ( Am I Effective Teacher. ?) विषय पर दिया गया।उन्होंने प्रारंभ में ही कहा कि शिक्षकों को KYT यानी Know Your Teacher . का ज्ञान होना चाहिए। शिक्षक को 'Co-Learner' बताते हुए एक अच्छे शिक्षक के गुणों जैसे प्रशिक्षित होना, ऊर्जावान होना,कलाकार होना,कुशल संचारक होना, रचनात्मक होना,समर्पण होना, ईमानदार होना आदि की विस्तृत जानकारी दी गई।सम्प्रेषण की प्रक्रिया में सम्प्रेषण कर्ता के गुणों की भी जानकारी दी गई।व्याख्यान के अंत अच्छे शिक्षक के आवश्यक गुणों पर आधारित वीडियो क्लिप दिखाया गया।
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दैनिक प्रतिवेदन (रिपोर्ट)
दिनांक- 20.11.19
26 वें उन्मुखीकरण कार्यक्रम
समूह तीन द्वारा प्रस्तूत
समूह के सदस्य-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र, दीपन दास,धरना ठाकुर,विनीता जडाला,डॉ आराधना गोस्वामी
प्रथम सत्र
प्रथम व्याख्यान --
सत्र का पहला व्याख्यान- प्रो.जसराज सिंह,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर के द्वारा ''स्टेप इन साइंटिफिक मेथड" विषय पर दिया गया। उन्होंने रिसर्च को परिभाषित करते हुए इसके सात स्टेप्स 1.समस्या/प्रश्न 2.अनुसंधान 3.परिकल्पना 4.प्रयोग 5.संकलन एवं परिणाम विश्लेषण 6.उपसंहार एवं 7.परिणाम की घोषणा आदि बिंदुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किए।उन्होंने रिसर्च के सारे स्टेप्स को मुन्ना और उसके दादी के उदाहरण के माध्यम से सरलीकृत ढंग से समझाया गया।
द्वितीय सत्र
द्वितीय सत्र का व्याख्यान प्रो. डी. एन. सनसनवाल जी के द्वारा "रिसर्च मैथडालोजी" विषय पर दिया गया।उन्होंने प्रारंभ में ही कुछ रोचक प्रश्न कर प्रशिक्षार्थियों से उत्तर जानने एवं विषय से जोड़ने का तरीका अपनाया।रिसर्च को परिभाषित करते हुए आपने कहा कि "शोध एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां व्यवस्थित रूप से करके समस्या का समाधान निकाला जाता है।
उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान 'डिस्कवरी' एवं 'इन्वेंशन' में अंतर को भी सुस्पष्ट किया ततपश्चात शोध के विविध चरणों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
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