छद्म नायक -19.09.2020
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एक था नायक
गोरा -चिट्टा
शूटेट-बूटेट
दिव्य वेशभूषा
चेहरे पर लालिमा-सी चमक
शाही अंदाज़ लिए हुए
चमकती हुई धवल दाढी-मूँछें
जैसे हों साधु
पर था भीतर से रावण
परिधानों में भी नंगा
क्या गज़ब का था उसका आत्मविश्वास
झूठ बोलने की कला में माहिर
बताता था स्वयं को
बहुत बड़ा विद्वान,विचारक
अर्थशास्त्री और ज्ञान-विज्ञान का ज्ञाता
मग़र ढोल में पोल की तरह
वह भीतर से था बिलकुल खोखला
उसके शासन काल में
पूरा अर्थतंत्र पड़ा था औंधेमुँख
मंहगाई की तेज़ लपट से
झुलस रही थी सारी जनता
और वह था आत्मप्रशंसा में मुग्ध
जय जयकार में लगे हुए थे उसके सारे चमचे
झूठे राष्ट्रवाद के कँटीले तारो से
धर्मों को बांटना बख़ूबी आता था उसे
झूठी देशभक्ति के चमत्कारों से
देश की भोली-भाली जनता को
कर लिया था अपने वश में
देश की संकटग्रस्त सीमाओं से
ध्यान भटकाने के लिए
खूबसूरत जुमले गढ़ना आता था उसे
राजनीतिक और कूटनीतिक चालों में
वह था बड़ा ही पारंगत
उसकी चालाकी और शातिर दिमाग से
पस्त हो जाते थे सारे विरोधी
सच को झूठ और झूठ को सच
साबित करने के फ़न में था वह माहिर
वह वाकई था खिलाड़ी नंबर वन
उसे मालूम था
शब्दों से खेलने के कई-कई पैतरे
वह अपने भावनात्मक भाषणों में
प्रेम-भाईचारा
त्याग-बलिदान
दया-करुणा
न्याय-अहिंसा
आपसी सहयोग
राष्ट्रीय एकता
सबका साथ-सबका विकास जैसे
आदर्शात्मक शब्दों और नारों से
हर बार जीत लेता था जनता का दिल
आखिरकार प्रचंड बहुमत से
उस छद्म नायक की
होती थी सत्ता में वापसी और भव्य ताजपोशी।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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