ओ मेरी भाषा ! 14.09.2020
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जब भी मैं हँसता हूँ या रोता हूँ
किंचित विचारों में डुबा होता हूँ
तुम हर पल
साया की तरह
अदृश्य रहकर
मेरा साथ देती हो
ओ मेरी भाषा !
जब भी मैं लिखता हूँ या पढ़ता हूँ
भाव जो अंतर्मन में ग्रहण करता हूँ
तुम प्रतिपल
लहू की तरह
मेरे जिस्म की रगों में
लगातार बहती हो
ओ मेरी भाषा !
जब भी मैं जागता हूँ या गहरी नींद में सोता हूँ
जीवन के लिए कोई सपने सँजोता हूँ
तुम प्रति क्षण
ममतामयी माँ की तरह
मेरी यादों में रहती हो
ओ मेरी भाषा !
जब भी मैं थक जाता हूँ या भटक जाता हूँ
राह चलते-चलते रुक जाता हूँ
तुम हर बार
पथप्रदर्शक की तरह
मुझे राह दिखाती हो
ओ मेरी भाषा !
--- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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