Monday 31 August 2020

आख़िर कैसे दाता हो तुम ..?

आख़िर कैसे दाता हो तुम .?- 27.08.2020
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बेहाल होकर 
मौन में 
पुकारा था उसने

जितनी थी ज़रूरत
बस उतनी ही तो
मांगी थी उसने

भूख के लिए 
थोड़ी-सी रोटी 
तन के लिए
थोड़े-से कपड़े
सिर के लिए 
थोड़ी-सी छाँह

उसने ज़रूरत भर मांगा पानी
तुमने सैलाब दे दी
उसने मांगी ज़रूरत भर हवा
तुमने दे दी आँधी
उसने मांगी ज़रूरत भर गुनगुनी धूप
तुमने शोले बरसा दिए

तुमने दिए इतना कि
उनकी भूख तो ज़रा भी मिटी नहीं
पर मिट गए सारे भूखे

बताओ ! क्यों नहीं समझ पाए तुम
उसकी थोड़ी-सी ज़रूरत
आख़िर कैसे दाता हो तुम ..?

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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