Saturday 8 August 2020

आस्तिक और नास्तिक

आस्तिक और नास्तिक - 6.08.2020
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नदी मझधार में
बहते जा रहा था एक आदमी
लगभग डूबते हुए
बड़ी मुश्किल से
चिल्ला पाया था एक बार-'बचाओ'

नदी किनारे 
एक सच्चा आस्तिक
जिसे था अपने ईश्वर पर अटूट विश्वास
डूबते हुए आदमी के लिए
हाथ जोड़कर-आँख बंदकर
पारंपरिक प्रार्थना की मुद्रा में
निवेदन करते हुए कहा--
"हे सर्वज्ञाता,सर्वशक्तिमान
सर्वदृष्टा, सर्व विराजमान 
हे कृपालु ईश्वर !
इस असहाय डूबते हुए
आदमी की रक्षा करें।"

नदी के दूसरे किनारे पर
खड़ा था एक नास्तिक
जिन्हें ख़ुद पर था भरोसा
जीवन मूल्यों पर था अटूट विश्वास 
कर्मकांड नहीं करता था
पर था कर्मनिष्ठ

जो आस्तिकों द्वारा हमेशा
हिक़ारत भरी नज़रों से देखा जाता था
जो शंकास्पद और उपेक्षित नज़रों से था घायल

हाँ वही बिलकुल वही
डूबते आदमी को देखते ही
नदी में लगा दिया था छलांग

खींचते मझधार से
ले आया नदी किनारे
बचा ली थी उसकी जान

बेहोश आदमी के इर्दगिर्द
आस्तिकों की लग गई थी भींड़
कहे जा रहे थे सभी--
ईश्वर सबके लिए है
ईश्वर कृपालु है
देखो ! ईश्वर ने 
डूबते हुए आदमी की जान बचा ली है

होश आने पर
उसी समय
डूबते हुए आदमी ने
उस नास्तिक को
बड़े कृतज्ञ होते हुए कहा --
"भैया बहुत-बहुत धन्यवाद
आप ही मेरे भगवान हो।"

पता नहीं क्यों..?
क्या हुआ..? 
पर...
नाँक-मुँह सिकोड़ने लगे थे सभी आस्तिक-जन।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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