Monday 17 August 2020

तुममें कुछ तो बात रही होगी राहत !

तुममें कुछ तो बात रही होगी राहत ! 18.08.2020
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वह जो चला गया
मेरी नज़रों में  एक शायर ही तो था
उनकी शायरी,गज़लें और नज़्में
अनायास उतर जाता था
मेरे मन के भीतरी छोर तक

उसने कभी ग़द्दारी नहीं की
उसने कभी किसी की अस्मत नहीं लूटी
वह हत्यारा भी तो नहीं था

उसने जो भी देखा-महसूसा
बस लफ़्ज़ों में पिरोता रहा

मैंने उस अज़ीम शायर के इंतकाल पर
चंद शब्दों से
बस श्रद्धांजलि ही तो दी थी

उनके प्रति प्रगट मेरे भावभीनी शब्द
कुछ लोगों को जाने क्यूँ
चुभने लगे थे शूल की तरह
मेरी भावनाओं में राष्ट्रद्रोह की गंध-सी
आने लगी थी उन्हें
उन्हें मेरे शब्दों के अर्थ
धर्म,जाति और राष्ट्र के ख़िलाफ़ लगने लगे

मुझे ग़लत साबित करने के लिए
वे गढ़ने लगे थे कई-कई तर्क
मुझे गुनाहगार मान
लिखने लगे थे धिक्कार भरे शब्द
कुछ तो लामबंद होकर ट्रोलिंग करने पर हो गए थे आमादा

मेरे देश के 'दर्शन' में
पाप-पुण्य से परे होती है आत्मा
कहते हैं प्राण निकल जाने के बाद
निर्दोष हो जाता है मृत शरीर
फिर
राग-द्वेष से परे निर्दोष,पवित्र
मृतात्मा की श्रद्धांजलि पर
इतना चिल्लम चों आखिर क्यों..?

राहत तुम इस दुनियाँ से तो चले गए
पर जाते-जाते तुमने
अपने पसंद करने वालों
और
नापसंद करने वालों को आहत कर गए

तुममें कुछ तो बात रही होगी राहत !

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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