Monday 24 August 2020

चार कविताएँ : पक्षधर

चार कविताएँ : पक्षधर - 24.08.2020
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1.शांति के पक्षधर
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वे शांति के पक्षधर हैं
शांति चाहिए उन्हें 
किसी भी कीमत पर

उनका कहना है कि
बेहद जरूरी है समाज में शांति
शांति के बिना कोई भी समाज
दरअसल समाज ही नहीं होता

वे और उनके सारे लोग
जो हैं शांति के कट्टर अनुयायी
समाज में शांति स्थापित करने के लिए
जा सकते हैं किसी भी हद तक
चाहे किसी की हत्या ही क्यों न करना पड़े

समाज में शांति के लिए
बड़े ही लगनशील एवं तत्पर हैं वे
शांति के लिए कोई भी समझौता नहीं करेंगे वे।


2.धर्म के पक्षधर
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वे बड़े ही धार्मिक व्यक्ति हैं
उन्हें अधर्मी लोग कतई पसंद नहीं है

जो भी उनका कहा
नहीं मानता
उनकी नजरों में
वे सारे अधर्मी हैं

वे अपने धर्म स्थापित करने के लिए
किसी भी हद तक जा सकते हैं
चाहे जानें ही क्यों न लेना पड़े

उनका मानना है--
आदमी-औरत,पेंड़-पौधे और पशु भी
केवल धर्म के लिए है
इस दुनियाँ में धर्म से बड़ा कुछ भी नहीं होता

धर्म के लिए बड़े श्रद्धावान हैं वे
धर्म के लिए कोई भी समझौता नहीं करेंगे वे।



3.अहिंसा के पक्षधर
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वे सिद्धांतः अहिंसक हैं
जीवों की हत्या को पाप समझते हैं वे
पर
जब-जब उन्हें
अपना बर्चस्व कायम करना होता है
'हिंसा' ही काम आता है

वे स्वयं को कभी
तर्कों से सच साबित नहीं कर सकते
आखिर थक हारकर
हिंसा का दामन थामना ही पड़ता है उन्हें

वे न्याय और अन्याय का फ़ैसला
स्वयं करते हैं
उनके लिए न्याय का एकमात्र रास्ता है 'हिंसा'

अहिंसा के  प्रबल समर्थक हैं वे
समाज में अहिंसा के लिए
'हिंसा' से कभी कोई भी समझौता नहीं करेंगे वे।


4.प्रेम के पक्षधर
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वे सभी सच्चे प्रेमी हैं
प्रेम को ईश्वर की तरह मानते हैं
प्रेम की पूजा करते हैं वे

वे प्रेम से ही सब कुछ पाना चाहते हैं
अगर न मिले 'प्रेम' तो बौखला जाते हैं 
हिंसा पर उतारू हो जाते हैं वे

उनका कहना है--
जिससे वे प्रेम करते हैं
वो भी उनसे प्रेम करे
वे चाहते हैं सब कुछ उनके ही मनमाफ़िक हो

प्रेम न मिलने पर 
किसी भी हद तक जा सकते हैं वे
प्रेम के लिए 
हत्या का विकल्प होते हैं उनके पास

वे सच्चे प्रेमी हैं
उनसे प्रेम न करने वाला
घृणा का पात्र होता है

प्रेम के पक्षधर हैं वे
प्रेम में कभी कोई भी समझौता नहीं करेंगे वे।

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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