वह अनपढ़ लड़की - 30.07.20
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गाँव के बाज़ार में
गाँव की एक अनपढ़ लड़की
मनिहारी के दुकान से
माँगती है एक चुक्क लाल फीता
लड़की को लाल फीता
दिखाते हुए
कहता है मनिहारी--
ये लो डेढ़ का है एक
लड़की फीता देखते हुए
कहती है--
''हाय कितना मंहगा है यह फीता
देना है तो बताओ
डेढ़ में नहीं ढाई में लूँगी।"
मनिहार बड़ा बेमन-सा
कहता है--
ठीक है ला ढाई ही दे दे
अनपढ़ लड़की
दो रुपए आठ आने देकर
चली जाती है खुशी-खुशी
फीता खरीदने के उमंग में
उछलती-कूदती
उसके चेहरे पर चमक ऐसी कि
मनिहार को ठग के जा रही हो जैसे
मुझे आज तक नहीं पता कि
डेढ़ रुपए का मतलब
आखिर कितना समझती थी
वह अनपढ़ लड़की।
--- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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