Tuesday 9 June 2020

मोबाइल के बिना..

मोबाइल के न होने पर....26.05.2020
--------------------------------------------------------------/
साढ़े दस बज चुके थे
पर मुझे तो साढ़े दस बजे पहुँच जाना था कॉलेज
हड़बड़-हड़बड़,ज़ल्दी-ज़ल्दी तैयार होने लगा
बस दो मिनट में हो गया तैयार
दस-सैंतीस पर पहुँच चुका था कॉलेज
पर यह क्या हस्ताक्षर के लिए जेब में पेन नहीं !
पेन के बिना हड़बड़ाहट सी हो गई
जब भी मुझसे पेन भूलने की ग़लती होती है
किसी और से पेन मांगना अपराध सा लगता है
मेरी इस दशा पर कोई बोले या न बोले
मैं ख़ुद ही ख़ुद को बोलता हूँ 
शरम करो पेन भी नहीं है तुम्हारे पास और आए हो कॉलेज

ख़ैर मांगे हुए पेन से हस्ताक्षर कर प्राचार्य कक्ष से निकला बाहर
तभी मेरे पीछे से एक मित्र प्रोफ़ेसर ने आवाज़ दी
कुलमित्र जी ज़रा पेन देंगे क्या ..?
सहसा मैं अपराध की जगह तसल्ली के भाव से भर गया
मेरी तरह के केवल मैं ही नहीं और भी लोग तो हैं

हिंदी विभाग पहुँचकर कर सुकून से बैठा था
कि खुद ब ख़ुद पेंट की जेब तक टटोलते हुए पहुँच गया मेरा हाथ
मैं फिर से हड़बड़ा गया मगर इस बार ज़ोरदार
मेरे मुख से अस्फुट-सी आवाज़ निकली
अरे ! मेरा मोबाइल कहाँ गया...?
समझ आया कि जल्दबाजी में घर पर ही छूट गया है मोबाइल
मोबाइल के बिना सहसा अधूरेपन से भर गया
पिछले तीन घंटों में मेरे हाथ न जाने कितनी बार टटोली होगी जेब
मन ही मन न जाने कितनी बार खिसियाया होऊँगा ख़ुद पर
वाट्सएप के लिए ,फेसबुक के लिए,समय देखने के लिए,क्रिकेट स्कोर के लिए,फ़ोटो खींचने के लिए,ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए
ऐसे ही और भी ....... के लिए ........के लिए तड़पता रहा था लगातार 
सोच रहा था बार-बार, कोस रहा था बार-बार
न जाने कौन-सा मैसेज आया होगा ? न जाने किसका कॉल आया होगा?
कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ मैं आजकल

खैर तीन घंटे बाद जब लौटा घर तो चरम पर थी मेरी बेसब्री
लपककर उठा लिया था मोबाइल को
जैसे लंबे विरह अंतराल के बाद प्रेमी लपका हो प्रेमिका पर
यह सच है कि हमने बनाया है मोबाइल को
पर हमको पागल तो बनाया है मोबाइल ने 

मुझे अपने एक मित्र की बेबसी पर हँसी तो तब आई थी
जब वह घण्टों मोबाइल की लत से पीछा छुड़ाने का उपाय
कहीं और नहीं मोबाइल पर ही ढूँढते हुए मिले थे।

--- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
     9755852479

No comments:

Post a Comment