वही कविता लिखी जाएगी बार-बार -01.06.2020
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फिर-फिर लिखी जाती है
वही-वही कविता
जो पहले भी लिखी जा चुकी है कई-कई बार
पर नकल नहीं है कोई भी कविता
जो लिखी जा रही है
बासी भी नहीं है
अनाज के दाने जैसी है कविता
जो हर बार नयी बोई जाती है
खेतों में उगी हुई
लहलहाती-फूलती-फलती फसलें
नयी-नयी होती है हर बार
अन्न के नए दानों में
उतना ही होता है
पोषक तत्व नया-नया
स्वाद भी नया-नया
बदल जाते हैं किसान
उसके बीज बोने के तरीके
पैदावार होती रहेगी
जब तक है खेत,किसान
और श्रम की ताकत
काल अंतराल के बाद
फिर-फिर लिखी जाएगी
वही कविता
नए रूपों में
नए ढंगों में
अनवरत।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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