बेमेल थे तुम्हारे जवाब.. 25.07.2020
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निकले थे काम पर परदेश
वहाँ न तो था घर तुम्हारा
न ही थे कोई अपने लोग
असमंजस के भँवर में फंसे हुए
तुम दिशाहीन बेचैन होकर
पैदल चले आ रहे थे
अपने घर की ओर
तुम्हें रास्ते में ही
घर जाने के जुर्म में
कर लिया गया था गिरफ़्तार
तुम बेतहाशा
भूख के मारे
तड़प रहे थे
प्यास के मारे
चटक गई थी तुम्हारी ज़बान
तुम्हें छोड़े जाने
के एवज़ में
पूछे जा रहे थे तुमसे
सवाल दर सवाल
जिनका तुम्हें देना था
माक़ूल जवाब
उसने पूछा
तुम्हारी जात क्या है..?
तुमने हाँफते हुए कहा था
रो.s..टी...
उसने पूछा
तुम्हारा धरम क्या है..?
तुमने कराहते हुए कहा था
रो.s..टी...
उसने पूछा
कहाँ से आ रहे हो..?
तुमने घुटते हुए दम से कहा था
रो.s.. टी...
उसने पूछा
तुम कहाँ जावोगे ..?
तुमने सांस फेंकते हुए कहा था
रो.s.. टी...
तुमने उखड़ती हुई
सांसों के साथ
हर सवालों के जवाब में
कहा था---
रोटी..रोटी..रोटी..रोटी..रोटी..
आख़िरकार तुम
बचाए नहीं जा सके
क्योंकि-
उनके रिकार्ड से
बिलकुल बेमेल थे
तुम्हारे सारे जवाब।
--- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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