ख़ूब बजाओ,जलाओ,बरसाओ ! 17.07.2020
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तुम ताल पर ताता-थैया नाचते हुए
ताली बजाते रहे
थाली बजाते रहे
घंटी बजाते रहे
उधर सरकार झुनझुना बजाती रही
और
इधर कोरोना तुम्हारा बेंड बजाता रहा।
तुम ख़ुद अंधेरे में डूबे हुए
मोबाइल फ्लैस जलाते रहे
दीपक जलाते रहे
मोमबत्ती जलाते रहे
उधर सरकार वादों की सूची जलाती रही
और
इधर कोरोना तुम्हारी झूठी उम्मीदें जलाता रहा।
तुम खुद शूलों पर खड़े हुए
फूल बरसाते रहे
प्रेम बरसाते रहे
आँसूओं की धारा बरसाते रहे
उधर सरकार सहानुभूति बरसाती रही
और
इधर कोरोना तुम पर कहर बरसाता रहा।
--- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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