1.बस रहने दो... !
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अच्छा होगा कि
आप कुछ भी न करें
यहां तक विकास के नाम पर कोई काम भी
हमने देखें हैं
तुम्हारे विकास के सारे काम
अब बस !
आसमान को आसमान
धरती को धरती
पानी को पानी
जंगल को जंगल
नदी को नदी
पहाड़ को पहाड़
और
आदमी को आदमी
रहने दो
बस इतनी-सी गुज़ारिश है आपसे।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
2.चूल्हा क्यों नहीं जलता... ?
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गरमी में जलते हैं
उनके नंगे पांव
दंगों में अक़्सर
जल जाते हैं उनके घर
घृणित साजिशों से
जलती है उनकी फसलें
भूखों में जलते हैं पेट
बेबसी में जलते है तन और मन
हर बार
संवरने से पहले ही
जल जाते हैं
छोटे से छोटे उनके सारे सपने
पर बड़ी ताज्जुब है कि
सब कुछ जल जाने के बाद भी
बची रह जाती हैं उनकी नस्लें
जिनके यहाँ
जलने के इस क्रम में
एक चूल्हा ही है जो नहीं जलता।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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