Friday 2 October 2020

मानवतावाद बनाम विस्तारवाद

मानवतावाद बनाम विस्तारवाद 
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            1.
प्रेम में थोड़ा और प्रेम 
जोड़ देने का समय है
करुणा में थोड़ी और करुणा
भर देने का समय है

हम नाक-नक्शे से मनुष्य तो हैं
मग़र थोड़ा और मनुष्य होने की जरूरत है

अपने इस सुंदर से नाक-नक्शे में
प्रेम,करुणा से आप्लावित
मनुष्यता की अब सबसे ज़्यादा ज़रूरत है
          2.
चाहत है थोड़े और पैसे जोड़ लेने की
चाहत है थोड़ी और ज़मीन बढ़ा लेने की
चाहत है अपनी सीमाएं बढ़ा लेने की

अपने विस्तारवादी सोच से हमने
कमाए पैसे,बढ़ाई जमीनें और सीमाएं
साथ ही साथ हमारे भीतर
अपने आप बढ़ती रही ईर्ष्या
लालचें कई और हिमालय-सा हमारा अहम

अब विस्तारवाद के आगे
दिन ब दिन बौनी होती जा रही है हमारी मनुष्यता

मानवतावाद को ठेंगा दिखाते
हमारे सामने तनकर खड़ा है हमारा विस्तारवाद

-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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