Friday 2 October 2020

जो होना था बहरे हुआ !

जो होना था वही हुआ !      01.10.2020
(हाथरस में हुए गैंगरेप की घटना के बाद)
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कैसे कहूँ जो नहीं होना चाहिए
वही हुआ तुम्हारे साथ..

तुम सभ्य समाज का हिस्सा नहीं थी
तुम्हारे साथ जो हुआ
वह तो होना ही था

तुम सुरक्षित नहीं रही तो क्या हुआ !
सांविधानिक बातें संविधान में सुरक्षित है अब भी

अक्सर काँटों की तरह चुभते रहते हैं
लोकतंत्र के लिए गढ़े गए
स्वतंत्रता, समानता, एकता और बंधुता जैसे सारे आदर्शात्मक शब्द

गरीब होना तो अभिशाप है इस देश में
और फिर तुम कुलीन भी नहीं दलित थी

सरेआम तुम्हारी अस्मत का लुट जाना
तुम्हें मौत के घाट उतार देना
ये कोई बड़ी घटना नहीं सामान्य बात है
तुम्हारे मरने का समाचार
टी वी चैनलों का टी आर पी  नहीं बढ़ा सकता

तुम कोई मंदिर या मस्ज़िद भी नहीं हो
तुम फ़िल्मी सितारे सुशांत सिंग भी नहीं हो
तुम कोई दलबदलू नेता भी नहीं जो अपनी पार्टी बदला हो
तुम कोई खूँखार अपराधी भी नहीं हो
तुम महज़ एक पीड़िता हो
तुम इस लायक कतई नहीं हो
कि तुम्हें समाचार की तरह दिखाया जा सके

धर्म और समाज के ठेकेदारों द्वारा
तुम्हारी नियति पहले ही गढ़ी जा चुकी थी
तथाकथित व्यवस्थादार घटना की लीपापोती में व्यस्त हैं
तुम भला कैसे बच सकती थी
बनी-बनाई,सोची-समझी नियति के उस दुष्चक्र से

तुम्हारे दुःख इतने भी बड़े नहीं 
कि तुम्हारी व्यथा सुन धरती फट जाए

तुम्हारे पक्ष में वकालत के लिए वकील भी कहाँ मिलेंगे..?
उन्हें सच को सच साबित करने भी नहीं आता
पैसे की ख़ुराक पर ही चलती है उनकी बुद्धि
वे सच को झूठ और झूठ को सच करने में होते हैं माहिर

दरअसल 'न्याय' तुम्हारे हिस्से की चीज़ ही नहीं
यह मैं कैसे कहूँ कि जो नहीं होना था वह हुआ
आख़िर तुम्हारे हिस्से जो होना था वही हुआ
हाँ यही सच है कि जो होना था वही हुआ ।
-- नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
    9755852479

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