आज की दो कविताएं : --
1. नाचता है मेरा मन-06.01.23
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मेरी छोटी सी बेटी नाचती है
वह अपने नन्हें हाथों से पकड़कर मेरी उंगलियां खींचती है
कहती है पापा आप भी नाचो ना..!
मैं अपनी तरह थोड़ा ठुमकता हूं बेटी के संग
वह हंसती है और कहती है
आपको बिलकुल नाचने नहीं आता पापा
सचमुच मैं बेटी जैसे नहीं नाच पाता
पर जब-जब मेरी बेटी थिरकती है नाचती है
उत्साह और आनंद से
मन ही मन मैं भी थिरकने नाचने लग जाता हूं...।
2. झाड़ू लगाना-06.01.23
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हम झाड़ू लगाते हैं रोज
रोज फैल जाता है कचरा
रोज झाड़ू
रोज कचरा
हम झाड़ू लगाना नहीं छोड़ते
कभी खत्म नहीं होता कचरे का फैलना
कचरा जितना भी फैले
झाड़ू लगाते रहेंगे हम...।
--नरेंद्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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