कविता के मायने - 17.11.22
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जो अपने हक के लिए नहीं बोल पाते
उनके पक्ष में बोलती है कविताएं
जब-जब सत्ताधीशों को लगता है
कि अब बोलने की हिम्मत किसी में भी नहीं बची है
तब तब बुजदिली की मौन को चीरती हुई
लोगों की आवाज बनकर खड़ी हो जाती है कविता
अहम से भरे लोग जब प्रेम को बर्दाश्त नहीं कर पाते
नफरतों की बाढ़ में जब डूबने लगती है प्रेम से भरी दुनिया
जब-जब नफ़रतियों को लगता है कि नफरत से ही पाया जा सकता है सब कुछ
तब तब नफरत से बजबजाती सड़ांध दुनिया में
खुशबुओं के मानिंद फैलने लगती है प्रेम आपूरित कविता
अंधेरा पसंद लोगों को रोशनी से भरी दुनिया पसंद नहीं आती
दुनिया में रोशनियों के खिलाफ खड़ी होने लगती है उल्लुओं और उल्लुओं के पट्ठों की फ़ौज
जब-जब बुद्धि और विवेक से शून्य होकर दुनिया अंधकार में डूबने लगती है
तब तब घोर अंधेरे को चीरती हुई
अंधेरे में सुराख बनाकर फैलने लगती है रोशनी से भरी कविता
-- नरेंद्र कुमार कुलमित्र
9755852479
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